ए ख़ुदा ! दुखों की आंधियाँ तो बहुत देख ली। बस एक ख़ुशी का झोंका दिखा दे। जलते चिराग़ तो बहुत बुझ गए। बस अब एक छोटा चिराग़ जला लेने दे। यूँ तो चला है मल्होत्रा रेगिस्तान में नंगे पैर बहुत। कुछ देर बारिश में भी चल लेने दे। ए ख़ुदा! अब ख़ुशी का झोंका देख लेने दे। #hindi #shayari #diary #thoughts #poetry #writer #khushi #musingtime