शायरियाँ ग़ज़लें देश हित की चर्चा क्या-क्या दफ़न था दिल के तहखाने में उमड़ पड़ा सैलाब जब महफ़िल सजी मयखाने में (अधिक जानकारी के लिए कैप्शन में पढ़ें) देवियों और सज्जनों आज हम एक महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा शुरू करने जा रहे हैं।यह मुद्दा आजकल वैसे भी चर्चाओं में छाया हुआ है तो क्यों ना हम भी इस बहती गंगा में हाथ धो कर स्वयं को धन्य समझे और मोक्ष की प्राप्ति करें। देखने में आ रहा है कि जब से मधुशाला को खोलने का आदेश दिया गया है कुछ महानुभाव इस पर आलोचना कर रहे हैं, या तो यह सज्जन इसकी महिमा से अनभिज्ञ हैं या फिर यह इसकी महिमा सुनना ही नहीं चाहते। इस लेख को पढ़ने वाले न जाने किस में आते होंगे😆 खैर छोड़िए हम सीधे आते हैं मुद्दे की बात पर ।तो समझ नहीं आ रहा कि कहाँ से शुरुआत की जाए। चलिए लेखन का मामला है तो लेखन से ही शुरु करते हैं, अब सोचिए जरा शराब नामक वस्तु ना होती तो क्या हम हरिवंश राय बच्चन जी जैसे कवि से रूबरू हो पाते यह शायरियां यह ग़ज़लें क्या मुकम्मल हो पाती प्रेयसी की आँखों की तुलना किससे की जाती