बहुत हुआ ख्वाबों में जीना, कुछ हकीकतों से भी रूबरू हो लिया जाए। वो जो बिखरते ही चला जा रहा है दिन ब दिन, क्यों न अब उसे समेट लिया जाए। ©A. K Raj life #parent