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ये मदमस्त हवाएँ भी तेरी खुशबू की महक से महकने लग ज

ये मदमस्त हवाएँ भी तेरी खुशबू की महक से महकने लग जाती हैं।
जानने पहचानने लगी है मुझे, मेरे साथ तेरे ख्यालों में खो जाती हैं।

ये महकती हवाएँ भी तुझे, मेरे पास बुलाने को मचलती रहती हैं।
वीराने में सजा देती है महफ़िलें, ये भी अब अपनी सी ही लगती है। 🌝प्रतियोगिता-75 🌝
 
✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️

🌹"महकती हवाएँ "🌹

🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या 
केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I
ये मदमस्त हवाएँ भी तेरी खुशबू की महक से महकने लग जाती हैं।
जानने पहचानने लगी है मुझे, मेरे साथ तेरे ख्यालों में खो जाती हैं।

ये महकती हवाएँ भी तुझे, मेरे पास बुलाने को मचलती रहती हैं।
वीराने में सजा देती है महफ़िलें, ये भी अब अपनी सी ही लगती है। 🌝प्रतियोगिता-75 🌝
 
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🌹"महकती हवाएँ "🌹

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केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I