कब तलक फिर एक बार दोनों आज आए मुझ तलक, मैं जानती हूं इस बार भी वही होगा जो होता है हर बखत, कौन सही कौन गलत या फिर क्या सही क्या गलत। आते ही शुरू हो गए दोनों, एक कहे में जो मानूं वही सही, दूसरा कहें ये जाने कुछ नहीं। मैंने कहा इस बार मैं ना बताऊं सही-गलत, क्योंकि आज तुम गलत वो सही, कल तुम सही वो गलत, क्यों फंसु तुम दोनों के बीच में हर बखत। नहीं नहीं ऐसा मत कहो, तुमसे ज्यादा नहीं जानता कोई और हमें, इसलिए कहां जाए हम, अगर ना आए तुम तलक। झूठे हो तुम दोनों, आते हो मुझ तलक, पर खींचते रहते हो बस एक दूसरे की तरफ, हंमेशा करके मुझको बर तरफ। आप सोच रहे होंगे कि कौन है ये जो परेशान कर रहे हैं मुझको इस बखत, जी कोई और नहीं ये वही है जो परेशान करते हैं आपको भी वक्त बेवक्त, ना जाने ये दिल और दिमाग की कश्मकश होगी खत्म कब तलक। #poetry #hindipoetry #kashmakash #heartvsmind #conflicts #yqbaba #yqdidi #learningtowrite