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एक रात की ये बात है... चांद हुआ था गुम कही... तारे

एक रात की ये बात है...
चांद हुआ था गुम कही...
तारे सभी परेशान थे...
ढूंढ़ने को चल दिए...
बादलों की ओट से.. 
चांद सब कुछ देखता...
बरस गई तब बदलियां..
स्नेह की देख इंतहा...
उजागर हुआ था चांद तब...
एक नयी सी आब संग...
एक नये खुमार संग...
स्नेह का अद्भुत रंग पुलक...
उसकी छविमें दिख रहा...
बेबस सी चांदनी भी फिर...
खिलकर थिरकती छा गई..
उसकी शीतल छांव से...
फिजा़ भी राहत पा गई...!!!

©सुधा भारद्वाज #रात_की_बात
एक रात की ये बात है...
चांद हुआ था गुम कही...
तारे सभी परेशान थे...
ढूंढ़ने को चल दिए...
बादलों की ओट से.. 
चांद सब कुछ देखता...
बरस गई तब बदलियां..
स्नेह की देख इंतहा...
उजागर हुआ था चांद तब...
एक नयी सी आब संग...
एक नये खुमार संग...
स्नेह का अद्भुत रंग पुलक...
उसकी छविमें दिख रहा...
बेबस सी चांदनी भी फिर...
खिलकर थिरकती छा गई..
उसकी शीतल छांव से...
फिजा़ भी राहत पा गई...!!!

©सुधा भारद्वाज #रात_की_बात