ये रात से इक अजीब दुश्मनी है मेरी। जब खुश होती हूँ तो पलक झपकते ही ख़त्म हो जाती हैं, और जो रहूँ कभी परेशां तो कटने का नाम ही नहीं लेती। अजीब है... जब रहूँ कभी तनहा तो बातों का पिटारा ख़त्म नहीं होता, और जो मिल जाए कोई साथी तो बातों की शुरुआत ही नहीं होती। बेहद खुदगर्ज़ है ये रात! सोना चाहूँ तो सोने नहीं देती, रोकू तो रूकती नहीं, और जो कुछ केहना चाहूँ तो सुनती भी नहीं। खैर पता नहीं क्यूँ? पर ये रात से भी इक अजीब दुश्मनी है मेरी । ये ना तो मेरी होती हैं, और ना कभी मुझे अपनाती हैं। वैसे सच कहूँ तो सबसे अच्छी दोस्त भी है मेरी। पहले तो अनगिनत सवालों के बीच मुझे घेर लेती हैं, और फिर बड़ी चालाकी से एक-एक कर हर सवाल के जवाब खुद ही दिया करती हैं। और जो हो जाऊँ कभी मायूस और बहने लगे आंसू, तो बड़े प्यार से सहलाते हुए सुला देती हैं। और फिर तोहफे़ में पेश करती हैं इक जगमगाती हुई सुबह, जो छीन लेती है मायूसी और दे जाती हैं उम्मीद की किरण। दोस्ती हो या दुश्मनी, दिल से निभाती हैं ये रात। - Barbul #TakeMeToTheMoon #night #Nightmare #nightpoetry #deep_thoughts #Deep