तुझे पता नहीं हम तेरे लिए क्या देखते थे तुम वह आइना थी जिसमें हम सारा जहां देखते थे उस दौर से गुजरना इतना आसान भी ना था जिस दौरें ज़हां में हम तेरा अना देखते थे ये तबस्सुम का उजाला और निगाहों की शॉख में ज़मीं पर भी तुझे देखते थे और फलक में भी तुम्हें ढूंढते थे ऐ मेरे सितमगर अब मुझे टटोलते हो क्यों मैं वो ज़र्फ़मंद हु जो तेरे हर झूठ में भी वफ़ा ढूंढते थे। #मुमताज ©BazmEyaaraan #Love #Emotional #gazal #Shayar #urdu #we #Hum #Tu #Books