महिला को पति और उसके रिश्तेदारों की कुर्ता से बचने के लिए लाए गए दहेज निषेध अधिनियम के दुरुपयोग पर उच्चतम न्यायालय ने एक बार फिर चिंता जताई है बीते सप्ताह सर्वोच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले में कहा कि हाल ही के दिनों में देश में वैवाहिक मुद्दा बाजी काफी बढ़ गई है विवाह स्थान को लेकर अब पहले से अधिक संतोष और टकराव है परिणाम स्वरूप व्यक्तिगत झगड़े के चलते पति और उसके रिश्तेदारों के विरुद्ध आईपीएस की धारा 498 ए दहेज पड़ताल और धन के प्रधान के हथियार की तरह इस्तेमाल करने की प्रवृत्ति बढ़ी है बीते दशकों में देश के विभिन्न अदालतो ने 498 ए के दुरुपयोग को लेकर तीखी टिप्पणियां की है अमरजीत कौर और एक अनाम बेनाम जसविंदर कौर और अन्य 2010 मामले में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा था कि आज संतुष्ट पत्नियों द्वारा 498a के प्रावधानों को हथियार के रूप में सवाल करना आम बात हो गई है पति को परेशान करने का सबसे आसान तरीका यह है कि उसके रिश्तेदारों को इस प्रावधान के तहत फंसाया जाए इससे कोई अंतर नहीं पड़ता कि पति के रहस्य ग्रंथ दादा-दादी हो या 10 को से विदेश में रहने वाले रिश्तेदार थे की अनदेखी नहीं की जा सकती कि महिला की सुरक्षा के लिए नए बने कानूनों को अमूल बिना किसी सबूत के पुरुषों शीर्षक मान लिया जाता है इस अवधारणा को निरंतर प्रतिपादित करने का प्रयास भी किया गया है महिला क्रोध ईर्ष्या और वैमनस्य के भाव से मुक्त है ©Ek villain #बदलाव की मांग करता दहेज कानून #selflove