आओ खुद से चंद सवाल करे, तर्ज़ ए तीरगी को उजाल करे। शक वजूद पर बहुत कर लिया, अब अक्स को अपने ज़लाल करे। ता-उम्र मानी है गैरो की हर रज़ा, खुद के फैसलों को बेमिसाल करे। जब यकीन खुद पर कर न सके , बीती बातों का क्या मलाल करें । दरिया को सूखते देखा है शिल्पी, फिर आँसुओ का क्या खयाल करे। गज़ल तर्ज़ ए तीरगी: अँधेरो के तरीके जलाल, उजाल: brighten #yqbaba #yqdidi #yqtales #yqdiary #yqghazal #yqlove