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मिट्टी का इंसान, आख़िर मिट्टी में मिल गया, ताउम्र

मिट्टी का इंसान,
आख़िर मिट्टी में मिल गया,
ताउम्र ढोता रहा जो अहंकार, घृणा,
द्वेष, वो अंत में चूर हो गया,
मिट्टी का इंसान,
आख़िर मिट्टी में मिल गया,

पैसे कि भूख से
सब रिश्ते नाते ख़त्म हुए,
जो अपने नज़दीक से थे,
वो धीरे धीरे दूर होते चले गए,
दौलत कि खनक से,
ईमान भी हिल गया,
मिट्टी का इंसान,
आख़िर मिट्टी में मिल गया,

परिवार का मोह छोड़ जो,
बाहर का मोह पाले वो अज्ञानी है,
गलती से जो भूल करे,
माना वो नादानी है,
पर नादानी समझ कर 
जो बार बार भूल करे,
ऐसी नादानियों को गले लगाकर,
इंसानियत का दामन
आईने कि तरह टूट गया,
मिट्टी का इंसान,
आख़िर मिट्टी में मिल गया !! पेश है एक नई कविता ::

मिट्टी का इंसान,
आख़िर मिट्टी में मिल गया,
ताउम्र ढोता रहा जो अहंकार, घृणा,
द्वेष, वो अंत में चूर हो गया,
मिट्टी का इंसान,
आख़िर मिट्टी में मिल गया,
मिट्टी का इंसान,
आख़िर मिट्टी में मिल गया,
ताउम्र ढोता रहा जो अहंकार, घृणा,
द्वेष, वो अंत में चूर हो गया,
मिट्टी का इंसान,
आख़िर मिट्टी में मिल गया,

पैसे कि भूख से
सब रिश्ते नाते ख़त्म हुए,
जो अपने नज़दीक से थे,
वो धीरे धीरे दूर होते चले गए,
दौलत कि खनक से,
ईमान भी हिल गया,
मिट्टी का इंसान,
आख़िर मिट्टी में मिल गया,

परिवार का मोह छोड़ जो,
बाहर का मोह पाले वो अज्ञानी है,
गलती से जो भूल करे,
माना वो नादानी है,
पर नादानी समझ कर 
जो बार बार भूल करे,
ऐसी नादानियों को गले लगाकर,
इंसानियत का दामन
आईने कि तरह टूट गया,
मिट्टी का इंसान,
आख़िर मिट्टी में मिल गया !! पेश है एक नई कविता ::

मिट्टी का इंसान,
आख़िर मिट्टी में मिल गया,
ताउम्र ढोता रहा जो अहंकार, घृणा,
द्वेष, वो अंत में चूर हो गया,
मिट्टी का इंसान,
आख़िर मिट्टी में मिल गया,

पेश है एक नई कविता :: मिट्टी का इंसान, आख़िर मिट्टी में मिल गया, ताउम्र ढोता रहा जो अहंकार, घृणा, द्वेष, वो अंत में चूर हो गया, मिट्टी का इंसान, आख़िर मिट्टी में मिल गया, #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #yourquotedidi #मिट्टीकाइंसान #riturajgupta