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पटाखे ख़ूबहिं फोड़िये, धुंआ धुंआ हो गांव। अगले दिन भ

पटाखे ख़ूबहिं फोड़िये, धुंआ धुंआ हो गांव।
अगले दिन भर बाल्टी, पानी पेड़ की छांव।।
पानी पेड़ की छांव, साफ हवा को लाओ।
फिर से अपना पर्यायवरण, शुद्ध बनाओ।।
मोहल्ले भर में बांटिए, सबके घर जा जाके।
कोई बच्चा रह न पाए, बिन चकरी और पटाखे।।
पटाखे ख़ूबहिं फोड़िये, धुंआ धुंआ हो गांव।
अगले दिन भर बाल्टी, पानी पेड़ की छांव।।
पानी पेड़ की छांव, साफ हवा को लाओ।
फिर से अपना पर्यायवरण, शुद्ध बनाओ।।
मोहल्ले भर में बांटिए, सबके घर जा जाके।
कोई बच्चा रह न पाए, बिन चकरी और पटाखे।।