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मेरा मन ये कोई कहानी नहीं मैं अपने जज़्बात लिख रही

मेरा मन  ये कोई कहानी नहीं मैं अपने जज़्बात लिख रही हूं
ज़रा गौर से पढो मुझे मैं मन की बात लिख रही हूं ।।
एक बार चले आओ के नज़र दीद की मुन्तजिर है
तरसती हुई सी आंखों का पायाम लिख रही हूं।।
तेरी फुरकत में कैसे गुजारे हैं पल गिन गिन के मैंने
फकत मोहब्बत नहीं तुझे अपनी जान लिख रही हूं
तू जल्दी आ जा के निकाल जाए दम बा आसानी
मेरे हमदम लहू से अपने ये खत तेरे नाम लिख रही हूं 
मेरा दिल निकाल कर उसे तोहफे में दे देना
मैं ज़िन्दगी की ये वासीयते तमाम लिख रही हूं #मेरामन
मेरा मन  ये कोई कहानी नहीं मैं अपने जज़्बात लिख रही हूं
ज़रा गौर से पढो मुझे मैं मन की बात लिख रही हूं ।।
एक बार चले आओ के नज़र दीद की मुन्तजिर है
तरसती हुई सी आंखों का पायाम लिख रही हूं।।
तेरी फुरकत में कैसे गुजारे हैं पल गिन गिन के मैंने
फकत मोहब्बत नहीं तुझे अपनी जान लिख रही हूं
तू जल्दी आ जा के निकाल जाए दम बा आसानी
मेरे हमदम लहू से अपने ये खत तेरे नाम लिख रही हूं 
मेरा दिल निकाल कर उसे तोहफे में दे देना
मैं ज़िन्दगी की ये वासीयते तमाम लिख रही हूं #मेरामन