अमृतापूर्णकलशं बिभ्रद् वलयभूषितः | स वै भगवतः साक्षात् विष्णोरंशाशसम्भवः || धन्वन्तरिरिति ख्यात आयुर्वेददगिज्यभाक् | (श्रीमद् भागवत महापुराण ८. ८. ३४/३५) उनके हाथों में कंगन और अमृत से भरा हुआ कलश है | वे साक्षात् भगवान् विष्णु के अंशांश अवतार हैं | वे ही आयुर्वेद के प्रवर्त्तक और यज्ञों के भोक्ता धन्वन्तरि के नाम से सुप्रसिद्ध हुए | अमृतापूर्णकलशं बिभ्रद् वलयभूषितः | स वै भगवतः साक्षात् विष्णोरंशाशसम्भवः || धन्वन्तरिरिति ख्यात आयुर्वेददगिज्यभाक् | (श्रीमद् भागवत महापुराण ८. ८. ३४) उनके हाथों में कंगन और अमृत से भरा हुआ कलश है | वे साक्षात् भगवान् विष्णु के अंशांश अवतार हैं | वे ही आयुर्वेद के प्रवर्त्तक और यज्ञों के भोक्ता धन्वन्तरि के नाम से सुप्रसिद्ध हुए |