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तुम बिन जिया जाए न ये तन्हाई भरी रातें अंधेरों के

तुम बिन जिया जाए न ये तन्हाई भरी रातें
अंधेरों के बीच याद आती है वो अधूरी बातें....
रूठ जाना ख़ुद से अब अच्छा लगता है 
दिख जाता है आज भी मेरे आंखों में दर्द भरी बरसातें.... अक्सर ठहर सी जाती हूं मैं ,
नाम तेरा लेकर .....
हर बातों में एक सवाल ढूंढ़ कर....
कभी न कभी ख़तम हो जाएगी
तेरे मेरे बीच सारे फासले 
आंखों को सुला देती हूं मैं
हर रोज़ एक नई कहानी बनाकर ......
तुम बिन जिया जाए न ये तन्हाई भरी रातें
अंधेरों के बीच याद आती है वो अधूरी बातें....
रूठ जाना ख़ुद से अब अच्छा लगता है 
दिख जाता है आज भी मेरे आंखों में दर्द भरी बरसातें.... अक्सर ठहर सी जाती हूं मैं ,
नाम तेरा लेकर .....
हर बातों में एक सवाल ढूंढ़ कर....
कभी न कभी ख़तम हो जाएगी
तेरे मेरे बीच सारे फासले 
आंखों को सुला देती हूं मैं
हर रोज़ एक नई कहानी बनाकर ......