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दिल चाहता है , पंख लगाकर,आसमाँ में उड़ जाऊ! अपनी हर

दिल चाहता है ,
पंख लगाकर,आसमाँ में उड़ जाऊ!
अपनी हर जिम्मेदारी को ,
बा-खूब निभाऊ,!
अपना हर गम 
मुस्कराहटों के नाम कर जाऊ!
पर जाने क्यों 
पंखो पर मर्यादा की मोहर,लगा दी जाती है,
मेरी हर खुशी,गम में बदल दी जाती है,
ओर मेरी चाहत 
अपने ही आशियाँ, में सिमट सी जातीहै, हैं
उसकी हर उम्मीद  
टूट कर बिखर सी जाती है,,!

चाहत दिल चाहता है,,,
दिल चाहता है ,
पंख लगाकर,आसमाँ में उड़ जाऊ!
अपनी हर जिम्मेदारी को ,
बा-खूब निभाऊ,!
अपना हर गम 
मुस्कराहटों के नाम कर जाऊ!
पर जाने क्यों 
पंखो पर मर्यादा की मोहर,लगा दी जाती है,
मेरी हर खुशी,गम में बदल दी जाती है,
ओर मेरी चाहत 
अपने ही आशियाँ, में सिमट सी जातीहै, हैं
उसकी हर उम्मीद  
टूट कर बिखर सी जाती है,,!

चाहत दिल चाहता है,,,
shilpijain8470

chahat

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दिल चाहता है,,,