ऊँची नीची पहाड़ियाँ जो हर मौसम में अडिग रहती हैं मानो प्रकृति ने इन्हें प्रहरी के रूप में तैनात किया हो ।कोई हरी तो कोई सफेद चादर ओढ़े हुए। उन पर देवदार चीड़ और न जाने कितने औषधीय गुणों के पेड़ पौधे ऐसे ही टाँके गए हैं जैसे सुहागन की चुनरी पर सितारे..पहाड़ियों से बहती हुई नदियाँ और झरने जैसे चुनरी से निकलते हुए धागे। उन्हीं पहाड़ों की तलहटी पर बसा हुआ था एक छोटा सा गाँव...एक सामान्य गाँव की तरह उसकी भी एक दिनचर्या थी बस भौगोलिक परिस्थितियाँ होने से थोड़ी सी भिन्न थी। खेती और उससे जुड़े कामका #YourQuoteAndMine#चित्र#हिंदी_साहित्य#प्रतियोगिता#चित्रबोलतेहैं#अनाम_ख़्याल#रात्रिख़्याल#बुराँशी_मोहना