मेरी तन्हाई में तन्हाई की तलाश है हमें, खामोश मन की तलाश है हमें। अब तुम्हारी ख्वाहिशे नहीं है, एक नए कोपल की तलाश है हमें। बेशक मेरी तन्हाई में बेहिसाब सा दर्द है भरा, लेकिन मेरी तन्हाई में तन्हाई नहीं है मिलता.. मेरी तन्हाई में दर्दों का बोलबाला है सताता हमें। तुम्हारी यादों का सहर दस्तख देता है तन्हाई में हमे, मेरे तन्हाई में शून्य की तलाश है हमें। साँसें थम जाए मन हो जाये खाली सा , ना जाने क्यूँ उसी पल का तलाश है हमें। आवाज़ मेरी उनकी यादों में है दबा सा , सुन सकूँ जो अपनी खामोशी.. ऐसी तन्हाई की तलाश है हमें... #निशीथ ©Nisheeth pandey मेरी #तन्हाई में तन्हाई की तलाश है हमें, खामोश मन की तलाश है हमें। अब तुम्हारी ख्वाहिशे नहीं है, एक नए कोपल की तलाश है हमें। बेशक मेरी तन्हाई में बेहिसाब सा दर्द है भरा, लेकिन मेरी तन्हाई में तन्हाई नहीं है मिलता.. मेरी तन्हाई में दर्दों का बोलबाला है सताता हमें।