अंग्रेजों से लड़ भिड़े,वो इंकलाब की वाणी,
भगत सिंह राज सुखदेव की,तुम याद करों कुर्बानी।
देश भक्ति की भट्टीयों में,तपी उनकी जवानी,
वादे प्यासी मोहब्बतों के,सूनी किसी की धानी*।
बालपन से वीर रसों का,रगो में बहती रवानी,
ऐसे महान वीरों की,तुम याद करों कुर्बानी।
क्रांति की मशाल जलाकर,तोड़ी ग़ुलामी की जाली।