भरे जहां में कोई मेरा यार था ही नहीं, किसी नज़र को मेरा इंतज़ार था ही नहीं.. ना ढूंढिए मेरी आंखों में रतजगो की थकन, ये दिल किसी के लिए बे करार था ही नहीं.. सुना रहा हूं मोहब्बत की दास्तां उसको, मेरी वफा पे जिसे ऐतबार था ही नहीं... "क़तील" कैसे हवाओं से मांगते खुशबू, हमारी शाम में जिक्रे बहार था ही नही - क़तील शिफाई vaah bahut khoob