हमें क्या फर्क पड़ता है, अपने जलने की कहानी, ये पृथ्वी ख़ुद कह रही है तुमने बदलना चाहा था इस धरती को, अब ये ख़ुद बदल रही है। पेड़ अनेकों काटे तुमने, अब बचा क्या काटने को देखो, बिन कुल्हाड़ी के पेड़ ख़ुद कट रही है। जीव अंदर मर रहें हैं, सांसें उनकी थम रही है, बेजुबां कैसे बोलेंगे की शरीर उनकी तप रही है। वक़्त हाथों से निकल रहा है ये लौट कर नहीं आएगा, इसलिए अभी बचा लो धरती को, जो धूं- धूं कर जल रही है, जो धूं- धूं कर जल रही है॥ #SaveAmazon #SaveLife #NojotoHindi #NojotoPoet #Poem #AmazonForestFire 🙏 🙏