सोचा मैंने काबू कर लूंगी अपने जज़्बातों को, ना अब लिखूँगी उसके बारे में, ना देखूँगी उसकी तस्वीर को, ये लिखते लिखते जो पलकें उठा कर देखा उसे एक पल को, घूर रहीं थी उसकी वो भूरी आँखें बस मुझ ही को, रोकना चाहा ख़ुद को पर कैसे रोक लेती अब ख़ुद को, पिघल चुकी थी मैं अब, कैसे रोकती अपनी धड़कन को? #काबू #जज़्बात #yqbaba #yqdidi Photo credits : qygyzx.com