बिना जंग लड़ हार कैसे मानू। बिना कोशिश के शुरूआत कैसे मानू। ग्रहण तो चाँद मे भी लगता हैं। फिर सिर्फ मुझसे ही दाग है ये कैसे मानू। ##बिना जंग लड़ हार कैसे मानू##