Unsplash अँधा है क़ानून, तराजुओं का क्या वजूद है..! निर्धन की सुनता कौन, धनवान के पास जब दौलत मौज़ूद है..! आँखों पर बाँधे काली पट्टी, बना उच्च वर्गों के आगे सूद है..! इंसाफ़ की देवी आश्चर्य चकित है, बेगुनाह क़ैद में तड़प रहे..! जुर्म करने वालों के लिए, ये तो जैसे खेलकूद है..! कानून है ये कैसा देश का अपने, चालाक हैं जुर्म को ऊपर रखने वाले..! कानून के रखवाले ही जब, बने जैसे ऊद (मुर्ख) हैं..! ©SHIVA KANT(Shayar) #library #andhakanoon