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लोक कल्याणकारी राज्य ( पढ़े , अनुशीर्षक में ) लो

लोक कल्याणकारी राज्य

( पढ़े , अनुशीर्षक में )  लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा का विकास २० वी ० शदी में हो गया था । सामाजिक न्याय का सूचक यह शब्द राज्य में रह रहे सभी व्यक्तियो को सामाजिक , आर्थिक , राजनीतिक , सांस्कृतिक तथ्यों पर अधिकार एवम स्वतंत्रता की बात करता हैं अर्थात खरबों की जनसंख्या रह रहे लोगों को संतुष्ट करना बहुत ही मुश्किल है लेकिन ऐसे लोक हित योजनाएं बनाई जाए जिससे अधिकतम लोग खुश रहे .... प्रत्येक व्यक्ति को एक से अधिक योजना का लाभ मिले ।

इस राज्य का उद्देश्य गरीबों के कल्याण का प्रबंध करना है क्योंकि गरीबों के हित में ही सामाजिक हित है । इसके साथ न्याय की भी व्यवस्था की गई है ...  नैतिक न्याय 
के कारण ही डिजिटलीकरण हो गया है... लोक कल्याणकारी का विचार भारतीय संविधान की प्रस्तावना में अप्रत्यक्ष रूप से निहित है जिसे संविधान के मौलिक अधिकार एवं नीति निर्देशक तत्व में प्रत्यक्ष रूप से प्राप्त करने का प्रयास किया गया हैं ।

लोक कल्याणकारी राज्य में जनता को आर्थिक मानव के रूप में देखा जाता है जिसमे वे एक सुखद भविष्य का निर्माण कर सके । आर्थिक मंदी के दौर में आई परियोजना बेहतर भविष्य का निर्माण करती है ;  जिसे 
" उदारीकरण , निजीकरण , वैश्वीकरण " के रूप में जाना 
जाता है ।
लोक कल्याणकारी राज्य

( पढ़े , अनुशीर्षक में )  लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा का विकास २० वी ० शदी में हो गया था । सामाजिक न्याय का सूचक यह शब्द राज्य में रह रहे सभी व्यक्तियो को सामाजिक , आर्थिक , राजनीतिक , सांस्कृतिक तथ्यों पर अधिकार एवम स्वतंत्रता की बात करता हैं अर्थात खरबों की जनसंख्या रह रहे लोगों को संतुष्ट करना बहुत ही मुश्किल है लेकिन ऐसे लोक हित योजनाएं बनाई जाए जिससे अधिकतम लोग खुश रहे .... प्रत्येक व्यक्ति को एक से अधिक योजना का लाभ मिले ।

इस राज्य का उद्देश्य गरीबों के कल्याण का प्रबंध करना है क्योंकि गरीबों के हित में ही सामाजिक हित है । इसके साथ न्याय की भी व्यवस्था की गई है ...  नैतिक न्याय 
के कारण ही डिजिटलीकरण हो गया है... लोक कल्याणकारी का विचार भारतीय संविधान की प्रस्तावना में अप्रत्यक्ष रूप से निहित है जिसे संविधान के मौलिक अधिकार एवं नीति निर्देशक तत्व में प्रत्यक्ष रूप से प्राप्त करने का प्रयास किया गया हैं ।

लोक कल्याणकारी राज्य में जनता को आर्थिक मानव के रूप में देखा जाता है जिसमे वे एक सुखद भविष्य का निर्माण कर सके । आर्थिक मंदी के दौर में आई परियोजना बेहतर भविष्य का निर्माण करती है ;  जिसे 
" उदारीकरण , निजीकरण , वैश्वीकरण " के रूप में जाना 
जाता है ।
richamishra8100

Richa Mishra

New Creator

लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा का विकास २० वी ० शदी में हो गया था । सामाजिक न्याय का सूचक यह शब्द राज्य में रह रहे सभी व्यक्तियो को सामाजिक , आर्थिक , राजनीतिक , सांस्कृतिक तथ्यों पर अधिकार एवम स्वतंत्रता की बात करता हैं अर्थात खरबों की जनसंख्या रह रहे लोगों को संतुष्ट करना बहुत ही मुश्किल है लेकिन ऐसे लोक हित योजनाएं बनाई जाए जिससे अधिकतम लोग खुश रहे .... प्रत्येक व्यक्ति को एक से अधिक योजना का लाभ मिले । इस राज्य का उद्देश्य गरीबों के कल्याण का प्रबंध करना है क्योंकि गरीबों के हित में ही सामाजिक हित है । इसके साथ न्याय की भी व्यवस्था की गई है ... नैतिक न्याय के कारण ही डिजिटलीकरण हो गया है... लोक कल्याणकारी का विचार भारतीय संविधान की प्रस्तावना में अप्रत्यक्ष रूप से निहित है जिसे संविधान के मौलिक अधिकार एवं नीति निर्देशक तत्व में प्रत्यक्ष रूप से प्राप्त करने का प्रयास किया गया हैं । लोक कल्याणकारी राज्य में जनता को आर्थिक मानव के रूप में देखा जाता है जिसमे वे एक सुखद भविष्य का निर्माण कर सके । आर्थिक मंदी के दौर में आई परियोजना बेहतर भविष्य का निर्माण करती है ; जिसे " उदारीकरण , निजीकरण , वैश्वीकरण " के रूप में जाना जाता है ।