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देखूं जिधर भी बस उधर,वीरान खंडहर नजर आते है। ना जा

देखूं जिधर भी बस उधर,वीरान खंडहर नजर आते है।
ना जाने कहां खो गए इंसान,सब पत्थर नजर आते है।
खेल रहे खेल मतलब के,मतलबी पुतले नजर आते है।
दिल में घने अंधेरे भरे है,बाहर से उजलें नजर आते है।
JP lodhi 16/12/2022

©J P Lodhi.
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