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अरमानों की मेरी तू नुमाइश करता है अपनी बारी आती ह

अरमानों की मेरी 
तू नुमाइश करता है
अपनी बारी आती है तो
तू करोड़ो की फरमाइश करता है,
मैं लालची और घमंडी
तू साधु और संत महात्मा
सारी दुनिया में मेरी इज्जत उतार
तू अपनी बड़ाई करता है,
मैं अनपढ़ गंवार
तू पढ़ा लिखा शैतान
अपने इस नकली चेहरे पर
तू ढोंग की रंगाई करता है,
अपने जुल्म और सितम छोड़
ना किसी से तो ईश्वर से ही
तू भय खा और थोड़ा डर,
कोई कुछ कह दे
तू बगावत करता है
यह भूल जाता है क्यों 
तुझ जैसों के लिए
ईश्वर भी ना कोई रियायत करता है।
© Sankranti chauhan

©Sankranti
  #अरमानों की मेरी
sankranti6927

Sankranti

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#अरमानों की मेरी #Poetry

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