मै तुझे फिर मिलूंगा कैसे कहा पर पता नहीं अपनी रातो को दिन बनाकर अपने ख़्वाबों को हकीकत बना कर मे तुझे फिर मिलूंगा कैसे कहा पर पता नहीं जो जख्म आपने दिए है मुझे कमबख्त दिल समझ ना पाया तुझे जिंदगी के किसी ना किसी मोड़ पर मे तुझे फिर मिलूंगा कैसे कहा पता नहीं खुशी को खरीदने निकली है तू अपने सपने फिर बसाने निकली है तू आशुओ से महल सजाने निकली है तू मे तुझे फिर मिलूंगा कैसे कहा पता नहीं जा खुशी को खरीद के दिखना मुझे अपने पैसे से खुशी खरीद के दिखना मुझे अपने ख़्वाबों को हकीकत बना कर मे तुझे फिर मिलूंगा कैसे कहा पत्ता नहीं पर मे तुझे फिर मिलूंगा, ©Aj nautiyal मै तुझे फिर मिलूंगा