#विक्रम संवत# प्रथम मास चैत्र का आया,हिन्दू नव वर्ष प्रारंभ हुआ, इसी महीने पुनर्वशु नक्षत्र की नवमी,प्रभु राम का जन्म हुआ। द्वितीय मास आया वैशाख का ,परशुराम का जन्म हुआ, इस माह की शुक्ल की नवमी,माँ सिया का अवतार हुआ। तृतीय मास आया ज्येष्ठ का,गंगा का अवतरण हुआ। निर्जल एकादसी के व्रत से,हर मनुष्य का कल्याण हुआ। चतुर्थ मास असाढ़ का , गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ हुआ, देव शयन हुए इस महीने,फिर ना कोई नया काम हुआ। पंचम मास आया सावन का, शिवजी का व्रत लिया हुआ, हर भाई की कलाई पर इस महीने,रेशमी धागा बांध हुआ। छठा मास भादो का, हर्ष उल्लास को लिया हुआ। रोहिणी नक्षत्र की अष्टमी को,कृष्णा का अवतार हुआ। सातवा मास आश्विन का,पितृपक्ष प्रारंभ हुआ। तिलांजलि से सभी पितरो का ,देह अधम से मुक्त हुआ। आठवा मास आया कार्तिक का, त्योहारों का आगमन हुआ, दीपावली दिन लक्ष्मी पूजा से,लक्ष्मी का हर घर मे वास हुआ। नवम मास आया अगहन का, राम सिया का विवाह हुआ। मोक्षदा एकादसी के व्रत से ,हर मनुष्य को मोक्ष प्राप्त हुआ। दसवाँ मास आया फूस का ,रुक्मणि का जन्म हुआ, मकरसंक्रांति वाले दिन , सूर्य का मकर राशि मे प्रवेश हुआ। ग्यारवा मास माघ का आया, भीष्म का जन्म हुआ। माघी वसंत ऋतु में,माँ सरस्वती का जन्म हुआ। बारहवा मास आया फागुन का,शिव सती का विवाह हुआ, होली के सुअवसर पर है,सारा जहां रंगा हुआ।। ©shubhangi sharma