मेरी ख़ुशी के लिए तू अपने गम छुपा लेती है नाराज़ होता हू तुजसे तो फट से मना लेती है न जाने कोनसी खूबी है तुझमे मे कितना भी नाराज़ हू तू फट से हॅसा देती है Alvi ji