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तभी आवाज़ मधुर माँ के कानो मे आयी, जो उठी नज़र तो

तभी आवाज़ मधुर माँ के कानो मे आयी,
जो उठी नज़र तो दरवाज़े पर खड़े पिया से मिलायी।



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Read in caption लल्ला के पापा को शहर से आये हो गए कई साल।
वो हंडिया पर चढ़ा के दाल
माँ लल्ला को रही थी पुकार,
मन मे उसके व्याकुलता थी,
पर खाना परोसने की आतुलता भी थी।
भूख से लल्ला हो रहा था बेहाल,
पर ना था आटा ना थे चावल 
घर में थी सिर्फ जो सेठानी ने दी थी दाल।
तभी आवाज़ मधुर माँ के कानो मे आयी,
जो उठी नज़र तो दरवाज़े पर खड़े पिया से मिलायी।



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Read in caption लल्ला के पापा को शहर से आये हो गए कई साल।
वो हंडिया पर चढ़ा के दाल
माँ लल्ला को रही थी पुकार,
मन मे उसके व्याकुलता थी,
पर खाना परोसने की आतुलता भी थी।
भूख से लल्ला हो रहा था बेहाल,
पर ना था आटा ना थे चावल 
घर में थी सिर्फ जो सेठानी ने दी थी दाल।
ankitjain8561

Ankit jain

New Creator

लल्ला के पापा को शहर से आये हो गए कई साल। वो हंडिया पर चढ़ा के दाल माँ लल्ला को रही थी पुकार, मन मे उसके व्याकुलता थी, पर खाना परोसने की आतुलता भी थी। भूख से लल्ला हो रहा था बेहाल, पर ना था आटा ना थे चावल घर में थी सिर्फ जो सेठानी ने दी थी दाल।