यूँ तो कई चराग़ थे, जो रोशन हुए मेरे लिए पर बाद उसके कभी वो सवेरा ना हुआ एक शख़्स देखा मैंने भी ऐसा जमाने में जो सभी का हुआ बारी बारी, बस मेरा ना हुआ : 'मीत' सभी का हुआ बारी बारी, बस मेरा ना हुआ