स्मर्तव्यो$स्मि त्वया मित्र! न स्मरिष्याम्यहं तव। स्मरणं चेतसो धर्मः, तच्चेतश्च त्वया हृतम्।। हे तुम मुझे अवश्य याद करना । नहीं.. मैं तुम्हें बिल्कुल याद नहीं करूँगा ।क्योंकि स्मरण करना तो हृदय का धर्म है और वह तुमने हर लिया है ,अब हृदय के अभाव में तुम्हें कैसे याद कर पाऊंगा।। इसलिए तुम्हीं मुझे याद (कॉल )करना 🍫❣️😘 #सुभाषितम् ©SK pant संस्कृत भाव जरूर पढ़े...❣️ #लव #मित्र #you #DearCousins Vashishth Maurya falak khan