भला यहां कौन सच्छा प्यार करते है ! अपने भी यहां गैरों सा वेवहार करते है ! इज्जते शोहरते ये सब पैसो वालो के घर की दासी है , लाख बुरा हो वो इंसान फ़िरभी लोग उन्हें सलाम करते है ! तेरे जज़बाद तेरे हुनर को यहां कौन परकेगा रुस्तम , हुनर वाले यहां तमाशा सरे बाजार करते है !!!! रुस्तम अली अंजुम मैरे अल्फाज़