क़ी कस्तियाँ मेरी तूफान में बह गई पर हौसलों क़ो मेरे कोई तोड़ ना सका हमने ठानी थी थी जिन्दगी में कुछ बड़ा करने क़ी दिवार तो बहुत आये पर रास्ता कोई मोड़ ना सका ©Upendra tripathi #Childhood