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मै वो कोरा कागज हूँ, जिस पर हर कोई लिखकर चला जाता

मै वो कोरा कागज हूँ, 
जिस पर हर कोई लिखकर चला जाता है...
मैं वो रात हुँ,
जिसे हर कोई तन्हा छोड़  चला जाता है... 
मै वो बहता पानी हूँ, 
जिसे हर कोई प्यास बुझा जाता है...
मै वो फूल हुँ,
जिसकी पंखुड़ि को हर कोई नोचना चाहता है... 
मै वो बचपन हुँ, 
जिसकी मासूमियत को तार-तार किया है... 
मै वो नारी हुँ,
जिसे वेश्यावृत्ति में डाल दिया जाता है...।

©Ritu Yadav
  #sadquotes #Vaishya