आओ सुनाऊं तुम सबको एक मज़ेदार कहानी, एक था नमूना जिसने पिक्चर जाने की थी ठानी। (पूरी रचना अनुशीर्षक में पढ़े) अक्सर हम करने कुछ जाते हैं, हो कुछ जाता है। यूं समझ लीजिए आज भी कुछ ऐसा ही हुआ। तो आइए मेरे साथ आप भी थोड़ा हंस लीजिए और लोटपोट हो जाइए। Neha जी के बिना ना ये कविता बन पाती और ना ही यहां तक पहुंच पाती। यें मेरी क्राइम पार्टनर हैं इस कविता को रचने में और आईडिया देने में इस कविता को रचने का। जिसके लिए में तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूं उनका। तो अब वक़्त ना लेते हुए पढ़िए इक नमूने की दास्तां ।