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मंजिले उदास है फिर भि उतना हि प्रयास है छोटी सि जि

मंजिले उदास है
फिर भि उतना हि प्रयास है
छोटी सि जिंदगी के
हर पहेलु उतना हि आजाद है
मानो उडता पन्छी बादलो में
बैठकर करता आराम है...

हकिकत और देखावा
एक सिसे मे कैद है
जो नजर नहि आता 
जो सम्झ भि नहि आता
लेकिन हकिकत और देखावा 
मगर होते है, हम और आप हि जैसे

छ्लकता इसारो ने आज 
पैगाम भेजि है
रुक जाउ फिर भि, कहा आराम भेटी है
यहि तो दर्द है जो रुकता नहि
क्या किसमत पाया है
यहि तो नाम है जो भुल्ता नहि

©Yudi Shah मंजिले उदास है
फिर भि उतना हि प्रयास है
छोटी सि जिंदगी के
हर पहेलु उतना हि आजाद है
मानो उडता पन्छी बादलो में
बैठकर करता आराम है...

हकिकत और देखावा
मंजिले उदास है
फिर भि उतना हि प्रयास है
छोटी सि जिंदगी के
हर पहेलु उतना हि आजाद है
मानो उडता पन्छी बादलो में
बैठकर करता आराम है...

हकिकत और देखावा
एक सिसे मे कैद है
जो नजर नहि आता 
जो सम्झ भि नहि आता
लेकिन हकिकत और देखावा 
मगर होते है, हम और आप हि जैसे

छ्लकता इसारो ने आज 
पैगाम भेजि है
रुक जाउ फिर भि, कहा आराम भेटी है
यहि तो दर्द है जो रुकता नहि
क्या किसमत पाया है
यहि तो नाम है जो भुल्ता नहि

©Yudi Shah मंजिले उदास है
फिर भि उतना हि प्रयास है
छोटी सि जिंदगी के
हर पहेलु उतना हि आजाद है
मानो उडता पन्छी बादलो में
बैठकर करता आराम है...

हकिकत और देखावा
yudishah2989

Yudi Shah

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