चरित्र मन के ओझल पहलुयों से तुम ने मेरा चित्र देखा है। तब तुम कैसे कह सकते हो मेरा चरित्र कैसा है।। ये कैसी लोगो की सोच है,ये जमाना विचित्र कैसा है। यकीनन कुछ गलती रही होगी मेरी तभी तो तुम में मुझे बदनाम कर दिया-2 पर मैं कैसे तुम को बदनाम करूँ ये अपनी मोहब्बत का ही तो किस्सा है। मन के ओझल.......@malhorta तब तुम कैसे.......................... #चरित्रवान