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पुलों पर थिरकती, वो पहियों सी जिंदगी, पटरियों पर

पुलों पर थिरकती, वो पहियों सी जिंदगी,

पटरियों पर खड़कती, वो तन्हा सी जिंदगी।

न जाने, कब लौटेंगे लम्हे पुराने ,

छूटते पेड़, छूटते खेत,

आगे बढ़ सबको, अपनाती सी जिंदगी ।

न जाने कब लौटेंगे लम्हे पुराने ,

खिड़कियों से,  सपने दिखाती सी जिंदगी।

पुलों पर थिरकती, वो पहियों सी जिंदगी,

पटरियों पर खड़कती ,वो तन्हा सी जिंदगी।।

उज्ज्वल सिंह ईशु

©Ujjawal Kumar train travel
पुलों पर थिरकती, वो पहियों सी जिंदगी,

पटरियों पर खड़कती, वो तन्हा सी जिंदगी।

न जाने, कब लौटेंगे लम्हे पुराने ,

छूटते पेड़, छूटते खेत,

आगे बढ़ सबको, अपनाती सी जिंदगी ।

न जाने कब लौटेंगे लम्हे पुराने ,

खिड़कियों से,  सपने दिखाती सी जिंदगी।

पुलों पर थिरकती, वो पहियों सी जिंदगी,

पटरियों पर खड़कती ,वो तन्हा सी जिंदगी।।

उज्ज्वल सिंह ईशु

©Ujjawal Kumar train travel