dedicated diary हमें मखमली बिस्तरों में भी नींद नहीं आती है वहां फुटपाथ पर वह शख्स सो गया होगा. हमको खानों में कहीं स्वाद iनहीं दिखता है वहां वह शख्स रोटियों में झूमता होगा. यहां बच्चों की ख्वाहिशें बहुत सी पुरी थी उधर बच्चों की ख्वाहिशें मर गई होंगी. इधर पैसों में पल रहे बहुत नाकारा निकले उधर गरीबों में कई होनहार हो गए होंगे. इधर लगता था की जरूरत ही मेरा जीवन है उधर अभाव ने उसका जीवन बना दिया होगा. दुर्गेश तिवारी #Star # #गरीबी और #अमीरी