ला फिर इक बार वही बादा ओ जाम ऐ साक़ी थोड़े तो कम हों अलम-बर्क़-ख़िराम ऐ साक़ी मेरा साग़र हुआ लबरेज़ तवानाई से लेकर 'आरिज़ पहुँचे शम्स का फ़ाम ऐ साक़ी जिस की उम्मीद में गुज़री है जो ता-उम्र मिरी आया महताब नज़र वो लब-ए-बाम ऐ साक़ी सब हि मदहोश हैं कोई नहीं शाइस्ता यहाँ किस को है फ़र्क़-ए-हलाल और हराम ऐ साक़ी वो अगर हाज़री दे रुख़्सत ए 'अख़्तर' के ब'अद अर्ज़ करना मिरा आख़ीर सलाम ऐ साक़ी 2122 1122 1122 112/22 फ़ाइलातुन फ़'इ'लातुन फ़'इ'लातुन फ़'लान(फ़ालुन) -------------------------------------------------------- अलम-बर्क़-ख़िराम= बिजली की रफ़्तार की तरह बढ़ते हुए ग़म साग़र= cup of wine लबरेज़= overflow तवानाई= energy 'आरिज़= clouds on horizon