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वो जाते जाते दरवाजा क्या बंद कर गये, मुझ ना-समझ क

वो जाते जाते दरवाजा क्या बंद कर गये, 
मुझ ना-समझ को भी थोड़ा अकलमंद कर गये,,
एक हाथ से कलम उठाई दूसरे ने कागज, 
टूटे दिल को लिखने के लिए रजामंद कर गये,,
गुमनाम था नाम हमारा महफ़िल सजी में, 
हमारा लिखा पढ गया कोई और वो पसंद कर गये,, #गुमनामशायर
वो जाते जाते दरवाजा क्या बंद कर गये, 
मुझ ना-समझ को भी थोड़ा अकलमंद कर गये,,
एक हाथ से कलम उठाई दूसरे ने कागज, 
टूटे दिल को लिखने के लिए रजामंद कर गये,,
गुमनाम था नाम हमारा महफ़िल सजी में, 
हमारा लिखा पढ गया कोई और वो पसंद कर गये,, #गुमनामशायर