आखिर ऐसा क्यों होता है? कि मच्छर के एक बाइट में थोड़ा सा ख़ून पीने से बचे हुए में ख़ून इतना उबाल आता है कि वह मच्छर को हाथ से कुचलकर या ऑल आउट लगाकर ही ठंडा हो पाता है। मेरे संदर्भ में दूसरा पहलू यह भी है कि कुछ लिख कर भड़ास निकालने से भी कुछ हद तक ठंडा किया जा सकता है लेकिन कुछ हद तक पूर्णतया नहीं । सुबह सुबह भी मच्छर अनछुआ न छोड़ते मुझे, जबकी कहते आये हैं लोग थोड़ा कड़वा मुझे, मच्छरों ने जब भी काटा पहले चेताया मुझे, उनकी ये अदा ही है जिसने थोड़ा भरमाया मुझे, ख़तरे का पता होने पर भी कर्म किया बताकर, अभी हमने देखें हैं ऐसे, जो कुछ नहीं बताते ख़ता कर। आखिर ऐसा क्यों होता है?