चल कर्मपथ पर,कर्मनिष्ठा का हाथ थाम ले, प्रतिभासंपन्न हैं तू , जरा बुद्धि से काम ले, क़िस्मत और भाग्य के भरोसे कुछ भी न होता हैं, बढ़ा कदम क्यूँ ? तू रहते समय को खोता हैं, किसने कहा हाथों की लकीरें भाग्य बताती हैं? जिनके हाथ नहीं वो भी सफलता के शिखर पर जाती हैं, तेरे कर्मों का लेखा वर्तमान, भूत,भविष्य हैं, कर्म करता जा फल मिलता अवश्य हैं, 🎀 Challenge-278 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 8 पंक्तियों में अपनी लिखिए।