दफ़न हैं मुझमें कितनी रौनकें ये मत पूछो उजड़ उजड़ के जो बसता रहा वो शहर हूं मैं दफ़न हैं मुझमें कितनी रौनकें ये मत पूछो उजड़ उजड़ के जो बसता रहा वो शहर हूं मैं (फौजी के अनकहे अल्फ़ाज़)