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अर्थ मेरी जन्म का मरम भेद कोई नहीं जानता मैं अपने

अर्थ मेरी जन्म का मरम भेद कोई नहीं जानता मैं अपने इच्छा अनुभव बालक के रूप में प्रगति हुआ हूं तथा यह मेरा सही पंचभोटिक नहीं है और ना ही कोई मेरे माता-पिता है प्रति मुख्य ज्ञान का सागर हूं और अंधविश्वासी रुधिवादिता में दुबे इस समाज को बुद्धि विवेक की कसौटी पर हंसने के लिए आया हूं उसी दिन काशी की जुलाही परिवार से तालुक रखने वाले नीरू अपने ससुराल से सुबह-सुबह पत्नी नीमा को विदा करके पहली बार इस्तेमाल करके अपने घर ए राह था लहरतारा तालाब के समान जैसे ही दंपती पाहुंचे गर्मी के मौसम होने के कारण नीमा को प्यास जरूर से लगी और वह जल पीने के लिए तालाब के किनारे पहुंच गई और पानी पीने लगी तभी नीमा की नजर इस्तेमाल बालक पर पड़ी जो कमल पुष्प की पंखुड़ियां पर देता मांड मुस्कान रहा था नीमा को इस्तेमाल बच्चे के प्रति मोहे प्रेम उमरा पड़ा और तक तक लगाये देखते रहे राही बच्चे को भगवान में उठाने का मन बनाया परन्तु पति गया भी जरूरी समझी नीमा दौड़ी हुई अपनी पत्नी नीरू के पास गई और हाथ जोड़कर बोली की ताला में कमल दाल पर एक तेज स्वरूप छोटा सा बच्चा है उसे मैं अपने साथ ले चलूंगी आप तुरंत मेरे साथ चलो तब डोन ताला पर गए देखा तो सच में कमल दाल पर तेजू में सुंदर एक बालक मुस्कान रहा है नीरू अपने धर्मपत्नी को समझौता है कि अभी तो हमारा गवना हुआ है और पहली दफा में ससुराल से तुम यह अपने घर ले जा रहा हूं तथा साथ में एक बच्चा हो तो समाज क्या कहेंगे जग हंसाई बेज्जती होगी परंतु नीमा ने नीरू की बात एक ने सुनी और कहा कि चाहे कुछ भी हो मैं तो एक बालक को भगवान में लेकर जाऊंगी तब नीरू और नीमा ने उसे इस्तेमाल बालक को कमल सहित भगवान में उठाकर सीन से लगा और अपने घर की या प्रस्थान कर गए उपयोग समय आकाशवाणी भी होती है

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