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White वो रास्ते भी क्या रास्ते थे, जो हमें मंज़िल

White वो रास्ते भी क्या रास्ते थे,
जो हमें मंज़िल तक ले जाते थे।
कभी धूप में, कभी छाँव में,
हम चलते रहे, सफ़र के साथ।

हर मोड़ पर, हर इक ठहराव में,
मिले हमसे कुछ किस्से नए।
कभी हँसाए, कभी रुलाए,
वो रास्ते भी हमें सिखाते गए।

कभी ठोकरें खाईं, कभी गिरकर उठे,
मंज़िल की ओर बढ़ते गए।
वो रास्ते हमें समझाते रहे,
कि संघर्ष ही है असली जीत का रास्ता।

©Ajita Bansal
  #Thinking poem of the day
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Ajita Bansal

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#Thinking poem of the day #Poetry

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