मुझे श्रृंगार नहीं लिखना कुछ और लिखने दो हटा दो खेतों को बस इमारतें रहने दो लटका दो किसानों को पूंजीपति रहने दो दिखाओ अभिनेताओं की खबरे किसान की मेहनत रहने दो uncomplete poem SHIVRAJ KHATIK रहने दो किसान को #farmersprotest