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एक स्नेह पत्र प्रेम के सागर के नाम Kulbhushan Aror

एक स्नेह पत्र प्रेम के सागर के नाम Kulbhushan Arora ji

मेरे प्रिय बापू,
                  सर्वप्रथम आपको आपकी प्यारी बिटिया का सादर प्रणाम। उम्मीद है आप अच्छे होंगे, और उस विधाता से यही दुआ करते हैं की आपके शेष जीवन में आपको अच्छे स्वास्थ से भरपूर खुशहाल जिंदगी दे।
     एक शब्द है परमात्मा... और हम अपने माता पिता को परमात्मा का दर्जा क्यों देते हैं..? शायद उनके निस्वार्थ और अथाह प्रेम की वजह से।
   माता पिता सिर्फ अपने बच्चों से अथाह प्रेम करते हैं, इसीलिए उन्हें खुदा माना जाता और दूसरा खुदा वो है जो सबसे प्रेम करे....!
"किसी ने ठीक कहा है, की इश्क़ अगर सबसे हो तो वो खुदा होता है"।
  बाबा आप उस खुदा से कम नहीं हो, आप इंसान के रूप में वो विधाता हो जो प्रेम का अथाह सागर है।
एक स्नेह पत्र प्रेम के सागर के नाम Kulbhushan Arora ji

मेरे प्रिय बापू,
                  सर्वप्रथम आपको आपकी प्यारी बिटिया का सादर प्रणाम। उम्मीद है आप अच्छे होंगे, और उस विधाता से यही दुआ करते हैं की आपके शेष जीवन में आपको अच्छे स्वास्थ से भरपूर खुशहाल जिंदगी दे।
     एक शब्द है परमात्मा... और हम अपने माता पिता को परमात्मा का दर्जा क्यों देते हैं..? शायद उनके निस्वार्थ और अथाह प्रेम की वजह से।
   माता पिता सिर्फ अपने बच्चों से अथाह प्रेम करते हैं, इसीलिए उन्हें खुदा माना जाता और दूसरा खुदा वो है जो सबसे प्रेम करे....!
"किसी ने ठीक कहा है, की इश्क़ अगर सबसे हो तो वो खुदा होता है"।
  बाबा आप उस खुदा से कम नहीं हो, आप इंसान के रूप में वो विधाता हो जो प्रेम का अथाह सागर है।